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Thursday, 27 February 2014

# Micro Poetry 145

Posted by Unknown at 06:31
अपनी यादों से भरा ये सन्दूक ले लो बदले में मेरी नींदें लौटा दो, वो आँसुओं से भीगे रातें ले लो और मेरी खोयी

हँसी लौटा दो, अपनी यादों से भरा ये सन्दूक ले लो और तुम्हारे इंतज़ार में गुज़रे तमाम लम्हें लौटा दो ...

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