I can feel your touch as I read your words, as they pluck at my heartstrings ..
Friday, 28 February 2014
# Micro Poetry 146
Seeing pieces of my Soul in the words of a Stranger as if our Souls are connected ..
Thursday, 27 February 2014
# Micro Poetry 145
अपनी यादों से भरा ये सन्दूक ले लो बदले में मेरी नींदें लौटा दो, वो आँसुओं से भीगे रातें ले लो और मेरी खोयी
हँसी लौटा दो, अपनी यादों से भरा ये सन्दूक ले लो और तुम्हारे इंतज़ार में गुज़रे तमाम लम्हें लौटा दो ...
हँसी लौटा दो, अपनी यादों से भरा ये सन्दूक ले लो और तुम्हारे इंतज़ार में गुज़रे तमाम लम्हें लौटा दो ...
Monday, 24 February 2014
# Micro Poetry 144
Like Fall leaves, all scattered on the ground, her Love Story lies in Silence, Dispersed ....
Saturday, 15 February 2014
# Micro Poetry 137
आज सुबह हवा भी कुछ सीली सी है मौसम की है साज़िश सी, इश्क में डूबा
वो पहला सावन याद दिला रहा, भीगे थे हम कुछ बारिश में, कुछ नए-नवेले इश्क़ में.
वो पहला सावन याद दिला रहा, भीगे थे हम कुछ बारिश में, कुछ नए-नवेले इश्क़ में.
Friday, 14 February 2014
# Micro Poetry 136
Her day is made by a smile on her beloved's face, the words she writes for him, have pieces of her soul.
Wednesday, 12 February 2014
# Micro Poetry 135
सालों से सूनी हैं ये दीवारें, तेरे जाने के बाद यूँही कोनों में पड़ी हैं, तस्वीरें फ्रेम वाली, दराज में.
Monday, 10 February 2014
# Micro Poetry 133
रात की तन्हाई में कुछ यूँ तोहफा दिया उनकी यादों ने, नींद ही छुपा ली अपने पहलू में.
Thursday, 6 February 2014
# Micro Poetry 130
Every night, she collects her pieces of sore broken soul only to hide her sorrow, behind those painted scars.
Tuesday, 4 February 2014
# Micro Poetry 128
जो तुम गए, खामोश सी पड़ गई कलम भी, किसी कोने में,
दिल कि किताब से किरदार भी खो गया,
लफ्ज़ भी गुम गए जज़्बातो के धुँए में.
दिल कि किताब से किरदार भी खो गया,
लफ्ज़ भी गुम गए जज़्बातो के धुँए में.
Monday, 3 February 2014
# Micro Poetry 125
Somewhere in between those silly arguments, she fell in love with his smile,
in between those confusions she found peace.
in between those confusions she found peace.
# Micro Poetry 124
इस सादगी पर कौन ना मर मिटें, लोग अकसर इन आंखों में सुकून ढूँढते है.
उनकी संगत के असर में मुमकिन है, चंद लम्होँ में उनसे मोहब्बत हुई
तरह-तरह से भुलाया मगर बेबस दिल का आख़िर में हुआ ये हाल,
हर एक ख्याल से पैदा तेरा ही ख्याल हुआ....!
~ Contributions : Siddhant Sharma
उनकी संगत के असर में मुमकिन है, चंद लम्होँ में उनसे मोहब्बत हुई
तरह-तरह से भुलाया मगर बेबस दिल का आख़िर में हुआ ये हाल,
हर एक ख्याल से पैदा तेरा ही ख्याल हुआ....!
~ Contributions : Siddhant Sharma
Saturday, 1 February 2014
# Micro Poetry 123
and how the Moon looks more beautiful through this broken glass, when I am with you .
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