टटोलती रहती है अपने ख्वाबों को कुछ यूँ ,
गुम गया हो जैसे कीमती सामान कोई । #अधूरी
Wednesday, 17 June 2015
# Micro Poetry 416
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टटोलती रहती है अपने ख्वाबों को कुछ यूँ ,
गुम गया हो जैसे कीमती सामान कोई । #अधूरी
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